कथा के पूर्व निकली भव्य कलश यात्रा श्रद्धालुओं द्वारा व्यास गादी की पूजा अर्चना कर प्रथम दिन की कथा का किया गया शुभारंभ
संवाददाता। सिलवानी
सिलवानी । भागवत कथा से पूर्व ग्राम सिवनी में भव्य कलश यात्रा निकाली गई । कस्बा बम्होरी के समीप ग्राम सिवनी मे आयोजित की जा रही सप्त दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के पूर्व ग्राम में कलश यात्रा निकाली गई। कलश यात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्वालु शामिल हुए।
संगीतमयी श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह का आयोजन पटेल जगदीश सिंह रघुवंशी एव ग्राम वासियों द्वारा किया जा रहा है। आयोजित कथा के पूर्व मंगलवार को प्रात: कलष यात्रा निकाली गई। जो कि ग्राम के मुख्य मार्गो से निकल कर कार्यक्रम स्थल पर पहुंच कर समाप्त हो गई।
कलश यात्रा में महिलाए व बालिकाए मंगल कलश रखे हुए चल रही थी। जवकि यजमान
सिर पर श्रद्वा पूर्वक श्रीमद् भागवत ग्रंथ रखे हुुए थे। कलश यात्रा गाजे बाजे के साथ निकाली गई । युवा नृत्य कर रहे थे वहीं महिलाए मंगल भजनो का गायन कर समारोह को भव्यता प्रदान कर रही थी। कथा का वाचन पंडित रेवाशंकर शास्त्री के मुखारविंद से किया जा रहा है। कलश यात्रा में श्री श्री 1008 महंत शिवस्वरूप जी महाराज तिलोकचंद धाम विशेष रूप से उपस्थित रहे।
पापी से पापी व्यक्ति भी सच्चे मन से श्रीमद् भागवत कथा काbश्रवण कर अपने जीवन में उतारता है तो एैसे पापी व्यक्ति के पापो का समन होने लगता है। व्यक्ति को चाहिए कि वह पाप कर्म से स्वयं को विमुखकर धर्म
के बताए मार्ग का अनुषरण कर जीवन को सात्विक बनाए। ताकि शेष जीवन सुख शांति के साथ व्यतीत हो जावे। यह उद्गार कथा वाचक पंडित रेवाशंकर शास्त्री द्वारा व्यक्त किए। संगीतमयी श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह के प्रथम दिवस मंगलवार को उपस्थित श्रद्वालुओं को संबोधित कर रहे थे। कथा प्रारंभ होने से पूर्व श्रद्वालुओं नेे व्यास गादी की पूजा अर्चना की। भागवत कथा के प्रथम दिवस के अवसर पर कथावाचक पंडित रेवाशंकर शास्त्री ने श्रद्धालुओं को बताया कि जैसे पवित्र गंगा नदी का जल पुराना नही होता है। वैसे ही भगवान की कथा कभी भी पुरानी नही होती है। कथा को बार बार सुनने का मन करे एैसी कथा का श्रवण करना चाहिए। कथा श्रवण करने का अवसर जीवन में आया है कथा के श्रवण से मन को शांति व पापो का श्ररण होता है साथ ही कथा मोक्ष दायिनी भी होती है।
पंडित रेवाशंकर शास्त्री ने कथा के महत्व को विस्तार से बताते हुए कहा कि देष की सभी नदियो में गंगा नदी श्रैष्ठ है। बैसे ही 18 पुराणों में श्रीमद् भागवत कथा श्रैष्ठ है। इसके अतिरिक्त अनेक द्रष्टांत के माध्यम से कथा वाचक ने श्रद्वालुओ से धर्म के बताए मार्ग पर चलने का आव्हाण किया।