नवीन सोनी सुदर्शन टुडे सारनी।
शहरी क्षेत्र के अलावा ग्रामीण क्षेत्र में इन दिनों शराब ठेकेदार बेरोकटोक अवैध देसी, विदेशी शराब गांव गांव तक सप्लाई कर रहे हैं। शराब ठेकेदारों के कर्मी अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों में शराब सप्लाई करते देखे गए। कई बार इसकी सूचना स्थानीय पुलिस प्रशासन के अलावा बेतूल पुलिस अधीक्षक को भी दी गई। बावजूद इसके शराब ठेकेदारों या उनके कर्मियों पर कार्रवाई ना होना पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़ा कर रहे हैं। दरअसल शराब ठेकेदार के कर्मी बोलेरो वाहन में देसी, विदेशी शराब रखकर गांव-गांव तक पहुंचाने का कार्य करते हैं। अपुष्ट सूत्रों की माने तो खेरवानी मेन रोड के पास संचालित होने वाली किराना दुकान, लोनिया पंचायत के राजेगांव खापा गांव के यादव समाज के एक मठाधीश और गांव वालों के मुताबिक गांव के दबंग जो पहले भी कई अवैध गतिविधियों में संलिप्त रहे हैं। वही राजडोह पुल को पार करते ही मनोजित मंडल पिता प्रहलाद मंडल की किराना दुकान में बेखौफ, बेफिक्र, बेरोकटोक विदेशी शराब बेची जा रही है। जिसका वीडियो भी वायरल हो रहा है। इसके बाद बाकुड़ में और दो अलग-अलग जगह शराब ठेकेदार के कर्मी शराब पहुंचाते दिखाई दिए गए। लेकिन इतना सब होने के बाद भी स्थानीय एवं जिला प्रशासन के सर में जूं तक नहीं रेंग रही। वही जब आम जनता की बात आती है। तो पुलिस प्रशासन नशा मुक्ति अभियान शुरू कर देती है। क्या पुलिस शराब ठेकेदारों के विरुद्ध कोई अभियान चलाएगी। क्या अपनी मनमानी कर रहे शराब ठेकेदारों पर पुलिस की कार्रवाई करेगी। क्या पुलिस वक्त रहते शराब ठेकेदारों पर कार्रवाई कर पाएगी। यह सब कुछ अपनी आंखों के सामने होता देख आंख पर पट्टी बांधे बैठे रहेगी।
ढाबों पर पुलिस की पकड़ा धकड़ी
जिले में तो वैसे नशा मुक्ति अभियान चल रहा है। सारनी क्षेत्र का माहौल खराब ना हो उसको देखते हुए पुलिस के द्वारा ढाबों पर बैठकर शराब पीने वाले की धरपकड़ की जा रही है। नशा मुक्ति अभियान के तहत नशेड़ी पर पुलिस द्वारा धरपकड़ काफी हद तक रंग लाती दिखाई दे रही है। मगर जैसे ही शराब ठेकेदार या उनके कर्मियों की बात आती है। ना जाने अच्छी भली पुलिस को क्या हो जाता है। और पुलिस की अच्छी कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह लगने लगते हैं। अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है। कि ढाबों पर शराब कहां पहुंच रही है। कौन शराब को ढाबों तक सप्लाई कर रहा है। क्या युवा लाइसेंसी दुकान से खरीद कर शराब ले रहे हैं। या ढाबे पर ही युवाओं को शराब की सुविधा उपलब्ध है। शहरी क्षेत्र की छोड़ो ग्रामीण क्षेत्र तक शराब कहां से पहुंच रही है। पुलिस ने इस पर ध्यान देना भी जरूरी नहीं समझा। की कौन अवैध तरीके से शराब गांव-गांव गली-गली तक पहुंचा रहा है। क्या इनके खिलाफ कभी पुलिस धरपकड़ अभियान चला पाएगी। गांव-गांव तक शराब पहुंचाने वालों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई कर सकेगी। अगर पुलिस गांव-गांव तक शराब पहुंचाने वालों के खिलाफ अभियान चलाकर उनकी धरपकड़ करती है। तो पुलिस को ढाबों या किसी सार्वजनिक स्थानों पर दबिश देने की जरूरत नहीं पड़ेगी।