देवराज चौहान राजगढ़
राजगढ़।हम शरीर के अभ्यास को योग समझते है , पर शारीरिक अभ्यास बस व्यायाम ही रह जाता है,मन को शरीर से जोड़ना योग है । हमारा मन कहता है पर शरीर काम नहीं करना चाहता है ओर शरीर कहता है पर मन नहीं लगता है। इन दोनों का आपस में एकरूप हो जाना ही योग है । योग अभ्यास मे हम यही सीख रहे है।
हमे यह जुड़ाव स्वय से धीरे धीरे समाज से भी करना है तभी योग का विस्तार होगा। श्री मती राठौर ने विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी शाखा जीरापुर द्वारा आवास कॉलोनी के इनडोर स्टेडियम में चलाए जा रहे 15 दिवसीय योग सत्र के चोथे दिन चर्चा सत्र में कहा कि वर्षा के समय किसी एक स्थान पर दो घड़े रखे है एक घड़ा सीधा है ओर दूसरा घड़ा ओंदा रखा है अब जो सीधा है वह जल से भर जाएगा लेकिन उल्टा घड़ा खाली ही रह जाएगा , ऐसे में हमे यदि खाली घड़ा भरना है तो उसे भी सीधा करना पड़ेगा। वैसे ही योग सत्र के लाभ को वही प्राप्त करेंगे जो यहां आयेगे। लेकिन मात्र हम ही लाभ प्राप्त करे यह तो योग नहीं , हमारे आस पास जो उल्टे घड़े है उन्हे भी सीधा करे याने उन्हे भी योग में लाने के लिए प्रेरित करे तो निश्चित ही सबको लाभ होगा ओर यही सबको जोड़ना योग है ।
योग सत्र मै आज श्वसन व्यायाम , शीतली करन व्यायाम, के साथ सूर्य नमस्कार का गहराई से अभ्यास कराया गया। मुख धोती, अग्निसार एवम् क्युआर टी (त्वरित आराम तकनीक) एवम् शवासन के अभ्यास के साथ उनके लाभ भी बताए गए। आज के सत्र का शुभारम्भ दिनेश सेन भारतीय सेना , एवम् विष्णु मंडलोई संचालक भव्य एकेडमी द्वारा द्वीप प्रज्वलन कर किया गया । सत्र में केंद्र के सह विभाग प्रमुख संजय सिंह पंवार ने निर्देश दिए एवम् नगर संयोजक कुशल मंडलोई ने अभ्यास का प्रस्तुति करन किया।सत्र के दौरान 25 पुरुष एवं 35 महिलाए उपस्थित रहीं।