सुदर्शन टुडे पंकज जैन आष्टा
और जिम्मेदार मोन रहकर तमाशबीन बने रहते है ।
महिला चिकित्सक के अत्यधिक लालच के सामने गरीबी और लाचारी किस तरह असहाय होकर मर जाती हे यह बीते दिवस देखने वा सुनने को मिला __मामला बीते दिवस आष्टा सिविल अस्पताल का जहां एक मां की कोख में ही बच्चे ने दम तोड़ दिया, पर महिला चिकित्सक को रहम नही आया ।
आष्टा सिविल अस्पताल में जहां महिला चिकित्सक शुभम दलोद्रिया की रुपयो की भूख को एक गरीब व्यक्ति शांत नहीं कर पाया , और नतीजा यह हुआ की आवश्यक इलाज समय पर नही मिलने से प्रसूता जहा 4 से 5 घंटे अस्पताल के बरामदे तड़पती रही , और गर्भवती महिला के गर्भ में पल रहे गर्भस्त शिशु ने इलाज केअभाव में गर्भ में ही प्राण छोड़ दिए । पीड़िता के सुसर याकूब खा निवासी पीली खदान का कहना है की बीते दिवस में अपनी पुत्र वधु अफसाना बि पति हबीब खा निवासी पीला खदाना को प्रसूति के लिए आष्टा सिविल अस्पताल दिन के 12 बजे के लगभग लाया था ,अस्पताल में महिला चिकित्सक शुभम द्लोद्रिया ने मेरी बहु को देखा और मुझसे बेखौफ होकर 10000/,दस हजार रुपयों की मांग की , किंतु मेने अपनी गरीबी का हवाला देते हुए इतनी राशि देने से मना करते हुए 5000/रुपए देने की मिन्नत बार बार की ।पर मानवता और अपना धर्म रुपयों की तिजोरी में रखकर भुलजाने वाली महिला चिकित्सक का हमारी गरीबी और।लाचारी को समझते हुए भी दिल नही पसीजा ।
और नाराज होते हुए मेरी बहू को यूं ही तड़पता हुआ छोड़ कर अपने क्लीनिक चली गई , लगभग 4 से 5।घंटे मेरी बहु बुरी तरह से परेशान होते हुए तड़पती रही , पर किसी को भी अस्पताल में दया नहीं आई ।
लगभग 5 बजे जब उपस्थित नर्स ने सूचना भेजी की प्रसूता की हालत ज्यादा खराब होती जा रही है तो फिर महिला चिकित्सक शुभम द्लोद्रिया आई और आवेश हमे आयुष्मान अस्पताल प्रायवेट में सोनोग्राफी के लिए भेज दिया ,और सोनोग्राफी रिपोर्ट देखकर बच्चे को मृत बताकर मेरी बहु को सीहोर रैफर कर दिया।
में जब मेरी बहु को सीहोर लेकर जा रहा था , की कोठरी के पास ही मेरी बेटी को डिलेवरी हो गई।और बच्चा मरा हुआ पैदा हुआ , इतना ही नही मेरी बहु आज भी सीहोर में भर्ती होकर।इलाज कराते हुए जीवन से संघर्ष कर रही है ।
इस पूरे मामले की जानकारी होने वा कार्यवाही के संबंध में जब ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर डाक्टर माहौर से जानकारी ली तो उन्होंने बताया की पूरा मामला मेरे संज्ञान में आ गया है मेने मामले की गंभीरता को देखते हुए महिला चिकित्सक शुभम द्लोद्रिया को नोटिस दे दिया है उनके जवाब के बाद ही स्थिति साफ हो पाएगी ।
लेकिन प्रथम दृष्टया पूरे मामले में महिला चिकित्सक की लापरवाही और स्वार्थ का साफ पता चलता है , वैसे भी सरकारी डाक्टरों का खुलेआम प्रायवेट किलिनिक चलाना, और महिला।चिकित्सक द्वारा अस्पताल की कुर्सी पर बैठ कर इस खुलेआम स्वार्थ पूर्ति करना कोई नई बात नही है , यह रोजमर्रा की निजी व्यवस्था है जिसे सरकारी चिकित्सक अपने तरीके से बिंदास करते है और जिम्मेदार मोन रहकर।यह सारा खेल रंगमंच की तरह देखते रहते हे, और बेचारे गरीब लाचार इसी तरह असहाय होकर दम तोड़ते रहते है,
अब देखने वाली बात यह होगी की इस पूरे मामले में जांच अधिकारी किस एंगल से जॉच करते है या __
इसी तरह मानवता को शर्मसार करने वालो के लालच के आगे गरीबी और लाचारी दम तोड़ती रहेगी ?