सुदर्शन टुडे की खबर
कोतमा। कोतमा 20 अगस्त को निर्वाचन विभाग द्वारा कोतमा नगर पालिका के सभागार में कोतमा और बिजली के जनप्रतिनिधियों और पत्रकारों की बैठक आहूत की , जिसमें मतदाताओं के सूची में नाम जोड़ने काटने तथा चुनाव संबंधित अन्य पर चर्चाएं की जानी थी जिसको लेकर निर्वाचन आयोग ने कोतमा अनुभाग अधिकारी को बैठक कर विस्तृत रूप से चर्चा करने के लिए कहा था। जहां अनुभाग अधिकारी कोतमा द्वारा कोतमा और बिजुरी के जनप्रतिनिधियों को बुलाकर बैठक का आयोजन किया गया वही बिजुरी के पत्रकारों को बकायदा लिखित रूप में आमंत्रित भी बैठक के लिए किया गया था लेकिन अनुभाग अधिकारी कोतमा द्वारा क्षेत्रीय और कोतमा के पत्रकारों को उक्त बैठक से दूर रखने के लिए ना तो किसी प्रकार के लिखित रूप से पत्र जारी किए गए और ना ही मौखिक रूप से कोई सूचना है किसी भी पत्रकार को दी गई। हाल ही में अवैध रूप से कब्जा किए गए जमीन संबंधित समाचार का प्रकाशन कोतमा के पत्रकारों द्वारा किया जा रहा था जिसको लेकर राजस्व विभाग में इन दिनों तना तनी का माहौल चल रहा है। यही कारण रहा कि कोतमा में बैठक आहूत की गई और कोतमा कहीं पत्रकारों को उक्त बैठक से दूर रखा गया जब यह बात कोतमा के पत्रकारों को पता चली तो वह बैठक में पहुंचकर बैठक को निरस्त करने की मांग अनुभाग अधिकारी कोतमा से करने लगे लेकिन पत्रकारों को दूर रखते हुए अनुभाग अधिकारी ने लगातार बैठक जारी रखी और बैठक को संपन्न करने के बाद पत्रकारों से अपनी गलती स्वीकारने की बात कही है। राजस्व विभाग में मची भर्रेशाही, एसडीएम मौन इन दिनों कोतमा तहसील अंतर्गत राजस्व विभाग में मनमानी और भर्रेशाही का आलम है। कोतमा तहसील अंतर्गत सरकारी जमीनों पर अवैध रूप से कब्जा कर उसमें मकान खड़े किए जा रहे हैं। वही कोतमा अनुभाग अंतर्गत गैर हकदार की भूमियों पर नामांतरण और रजिस्ट्री कर औने पौने दाम पर बड़े धन्ना सेठों और भूमाफिया को बेचा जा रहा है जिस पर एसडीएम द्वारा किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं की जा रही है। वही आश्चर्य की बात यह है कि जांच के लिए जब किसी पत्रकार द्वारा एसडीएम से बात की जाती है तो उनके द्वारा मामला टाल दिया जाता है। वहीं अन्य कई मामले पर एसडीएम की सुस्ती ने कोतमा की जनता को परेशान कर रखा है।