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अनूपपुर

गैर हकदार भूमि के क्रय विक्रय में कोतमा बना अव्वल, पटवारी और अधिकारी की मिलीभगत से गैर हकदार भूमिका हुआ नामांतरण,बना पट्टा

 सुदर्शन टुडे की खबर

 मध्यप्रदेश / अनूपपुर / कोतमा

इन्ट्रो:- कोतमा हाईवे बाईपास के पास स्थित लगभग 17 एकड़ जमीन पर भू माफियाओं की नजर लंबे समय से थी। जिस पर पटवारी और अधिकारियों की मिलीभगत से गैर हकदार भूमि को भी खरीद फरोख्त कर नामांतरण करवा दिया गया है। गैर हकदार भूमि को कोतमा के वार्ड नंबर 7 में रहने वाले अजीमुद्दीन और उसके परिवार के नाम कर दी गई है। वर्ष 2012 के बाद से लगतार गैर हकदार भूमियों का जैविक के पटवारियों के सह से होता चला आया और उस पर किसी भी उच्च अधिकारियों ने संज्ञान में नहीं लिया जिस कारण से लगभग 17 एकड़ के हकदार भूमि पर भू माफियाओं का कब्जा हो गया है। कोतमा। कोतमा तहसील अंतर्गत गैर हकदार अहस्तांतरित भूमियों पर कोतमा के धन्ना सेठ और भू माफियाओं का कब्जा हो गया है। बची कुची जो भूमि है उसे गरीब कृषकों से लूट कर भू माफियाओं को पटवारी और अधिकारी खरीद-फरोख्त कर रहे हैं। कोतमा बाईपास हाईवे के समीप लगभग 17 एकड़ शासकीय और गैर हकदार अहस्तांतरित भूमि को कोतमा तत्कालीक पटवारी और पूर्व एसडीएम द्वारा मिलीभगत कर गरीब कृषकों की भूमि का बंदरबांट कर दिया गया है। आश्चर्य की बात यह है कि मध्य प्रदेश शासन के गजट से बाहर आकर पटवारी अधिकारी और एसडीएम ने गैर हस्तांतरित भूमियों का विक्रय नामक करवाकर नामांतरण भी कर दिया और बकायदा उसके कई पट्टेदार भी बना दिए, वर्तमान स्थिति में उक्त भूमि विवादास्पद हो चुकी है जिसके कारण आए दिन पूर्व के हितग्राहियों और भू माफियाओं के बीच विवाद की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। तात्कालिक पटवारी और एसडीएम ने किया घोटाला कोतमा हाईवे बाईपास के समीप खसरा नंबर 294/4, 259/2/1, 296/11/क, 297/6, 297/8 जैसी गैर हकदार और अहस्तांतरित भूमियों को कोतमा वार्ड नंबर 7 में निवासरत स्वर्गीय अजीमुद्दीन मुसलमान उर्फ भोचु और उनके दर्जनों परिवार के सदस्यों के नाम पर तात्कालिक पटवारी और एसडीएम ने बिना कलेक्टर की अनुमति के भूमियों को स्थानांतरित करते हुए नामांतरण भी कर दिया। गैर हस्तांतरित भूमियों को भोचु जैसे भू माफियाओं को पटवारी और अधिकारियों ने मिलीभगत कर कौड़ी के दाम पर बेच दी गई वही जय राम केवट, भूपति अहिर, छोटू अहिर, पछुआ अहिर जैसे भू स्वामियों के गैर हकदार कई एकड़ भूमि को नामांतरण कर पाटीदार बना दिया गया और बकायदा खड़े होकर भूमि पर काबिज भी कर दिया गया। मध्य प्रदेश शासन के नियम को अधिकारियों ने दिखाया ठेंगा मध्य प्रदेश भू राजस्व संहिता में भूमि क्रय विक्रय को लेकर दिए गए नियमों को धता बताते हुए कोतमा के पूर्व एसडीएम और पटवारी ने ना तो भूमि क्रय विक्रय से पहले कलेक्टर से अनुमति ली और ना ही क्रय विक्रय के बाद उक्त भूमि की जानकारी कलेक्टर को सबमिट करवाई है। मध्य प्रदेश भूमि क्रय विक्रय के नियम अनुसार किसी भी गैर हकदार भूमिका क्रय विक्रय बिना कलेक्टर की अनुमति के नहीं होता है। वहीं गैर हस्तांतरित भूमियों का नामांतरण भी नहीं किया जाता है लेकिन मध्य प्रदेश भू राजस्व संहिता के सारे नियम कानून कोतमा की भूमि पर जैसे काम ही नहीं करते हैं कोतमा के भू माफियाओं को पटवारी और अधिकारी द्वारा अपने बनाए हुए कानून के तौर पर गैर हकदार व गैर हस्तांतरित भूमियों कभी नामांतरण कर पट्टा बना दिया जाता है जिसका जीता जागता सबूत कोतमा के बाईपास के पास स्थित हो चुकी वह जमीन है जो कि पहले केवट और अहीर समाज के कुछ व्यक्तियों के नाम पर थी जिसके बाद अब वह भोचू और उसके परिवार के नाम पर हस्तांतरित कर दी गई है। तो मंत्री के सह पर नहीं होती कार्यवाही भोचु को खाद्य मंत्री का करीबी माना जाता था हाल ही में भोचु का किन्ही कारणों से स्वर्गवास हो गया है लेकिन आज भी भोचु की बनाई अवैध अधिपत्य पर किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं की जा रही है जन चर्चा है कि उक्त व्यक्ति का संबंध वर्तमान खाद्य मंत्री से कई वर्षों से रहा है जिस कारण से उसके हर अवैध काम को प्रशासनिक संरक्षण मिलता रहा है और यही कारण है कि अवैध तरीके से कमाई गई संपत्ति और गैर हकदार भूमि पर किए गए कब्जे वह नामांतरण पर किसी भी प्रकार की कार्यवाही जिला प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा नहीं की जाती है। एसडीएम तथा कलेक्टर से हुई शिकायत हाल ही में उक्त मामले को लेकर एसडीएम और कलेक्टर से कई बार शिकायतें हो चुकी हैं लेकिन शिकायतों पर किसी प्रकार की कार्यवाही ना होने से हितग्राहियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वहीं कई मामले में तो उक्त जगह पर स्थित भूमि भी कागजो में रहता है लेकिन वर्तमान स्थिति में भूमि का अता पता नहीं है। खतरे पट्टे में तो भूमि काबिज है लेकिन वस्तु स्थिति में भूमि उक्त जगह पर मौजूद ही नहीं है। वही माफियाओं ने बाउंड्री वाल और घर बनाकर भूमियों को निगल सा लिया है। वही 1993 के बाद कई व्यक्तियों ने उक्त जगह की भूमि खरीदी थी जिनकी भूमि अब उक्त जगह पर मौजूद ही नहीं है पर कागजों पर भूमिका अता पता जरूर है। इसकी शिकायतें बार-बार की जाती हैं पर शिकायतें सिर्फ कागजों पर ही सिमट कर रह जाती हैं किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं होती। इनका कहना है हां उक्त भूमियों की जांच हो रही है।मायाराम कोल , एसडीएम कोतमा

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