*सुदर्शन टुडे* *संवाददाता-बी.एल.सूर्यवंशी* *काछीबड़ौदा (बदनावर)* *धार म.प्र.*
मध्यप्रदेश के रतलाम जिले की ग्राम पंचायत बिरमावल के अंतर्गत एवं लेबड़ नयागांव फोरलेन सातरुण्डा से 3 किलोमीटर पर बिरमावल व सातरुण्डा के बीचोंबीच ऊंची पहाड़ी पर बैठी प्राचीन माँ कवलका के यहाँ प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी सावन के इस पावन माह मे हरियाली अमावस्या के दिन, एक दिन का मेला लगता है। इस दिन विशेष व्यंजन (घेवर के खोके) जो मेदे से बनाये जाते है जिसे दस-पंद्रह दिन पूर्व ही दुकानदार बनाकर अपनी दुकान में सजावट के रूप में रख लेता है। माँ कवलका का मंदिर तीन जिले रतलाम, उज्जैन, धार से लगा हुआ है। मेले में इन तीन जिलों से श्रद्धालु बड़ी संख्या में माताजी के दर्शन करने आते है। बताया जाता है कि मंदिर में विरामन माँ कवलका एक दिन में अपना तीन रूप दिखाकर श्रद्धालुओं को दर्शन देती है। इस मंदिर पर प्रतिदिन दर्शनार्थियों का तांता लगा रहता है। इस मंदिर में रात में चोरों ने माताजी के आभूषण चुराने की कोशिश की तो वे इस चोरी में कामयाब नहीं हो सके माताजी ने उनकी आँखों की रोशनी ही गायब कर दी रात भर पहाड़ियों में घुमते रहे ऐसा है यहाँ की माताजी का चमत्कार। चमत्कार के साथ-साथ यहां पर हर मन्नते पूरी होती है। मन्नतधारी अपनी-अपनी मन्नते पूरी होने पर बकरे व मुर्गे माँ कवलका को भेंट करते है।