नीलेश विश्वकर्मा/पथरिया
प्रदेश सरकार शिक्षा विभाग को लेकर आये दिन बड़े-बड़े दावे करती है। शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार द्वारा करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाए जाते है। जिससे प्रदेश में निवासरत गरीबों के बच्चे सरकारी विद्यालयों में ही पढ़कर निजी विद्यालयों की तरह शिक्षा ग्रहण कर सके। इसके लिए सरकार द्वारा मुफ्त किताबें, गणवेश और मध्यान्ह भोजन बच्चों को उपलब्ध कराया जाता है, लेकिन दमोह जिले में ऐसे अनेक विद्यालय है। जहां शिक्षकों की मनमानी के चलते ऐसे नौनिहालों का भविष्य अंधकार में दिख रहा है।दरअसल मामला पथरिया ब्लॉक के शासकीय प्राथमिक विद्यालय पीपर खिरिया विद्यालय का है।जहां प्रधानाध्यापक संदीप सोनी विद्यालय समयानुसार आने की बजाए अपनी मनमर्जी से आते है और शिक्षकों की हनक ऐसी है कि शिक्षकों के आने के पूर्व बच्चे विद्यालय पहुंचकर झाड़ू लगाकर साफ सफाई करते है।
बच्चे किताबों की बजाए झाड़ू लगाकर शिक्षा ग्रहण कर रहे है-
पथरिया ब्लाक के पीपर खिरिया के प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाई के नाम पर बच्चों के साथ जमकर खिलवाड़ किया जा रहा है। शिक्षा ग्रहण करने के लिए विद्यालय आये बच्चों से झाड़ू लगवाई जाती हैं। या यूं कहें तो गलत नहीं होगा कि सरकार द्वारा चलाये जा रहे स्वच्छ भारत मिशन का असर शिक्षकों पर काम बच्चों पर ज्यादा दिख रहा है।
शिक्षक खुद लेट आते हैं-
वहीं इन हालात को देखते हुए जब गांव के ग्रामीणों से बात की गयी तो उन्होंने बताया कि शिक्षक प्रधानाध्यापक संदीप सोनी खुद ही विद्यालय देर से आते हैं। जिससे बच्चों को अच्छी शिक्षा से वांछित है।मजबूरन हम लोगों को अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने के लिए सोचना पड़ता है। हम गरीब वर्ग के लोगों के पास इतने पैसे नहीं हैं, जिससे अपने बच्चो को अच्छी शिक्षा दिलवा सके,शासकीय विद्यालय की स्थिति किसी से छुपी नहीं है। विद्यालय में शिक्षक अपने मनमाने समय से आते हैं। ताला खोलते हैं,जबकि बच्चे स्कूल खुलने के पहले ही स्कूल परिसर में पहुंचकर विद्यालय खुलने का इंतजार करते रहते हैं और जब हम ग्रामीणों द्वारा इस बात का विरोध किया जाता है तो हमारी बात में कोई ध्यान नहीं देता।
प्रधानाध्यापक बोले में कोई भृत्य नहीं शिक्षक हूं जब देश के प्रधानमंत्री झाड़ू लगा सकते हैं तो बच्चों को लगाने में क्या हर्ज है-
जब इस संबंध में प्राथमिक शाला पीपर खिरिया में पदस्थ प्रधान अध्यापक संदीप सोनी बात की गई तो उल्टा ही सवाल करने लगे उन्होंने कहा कि संपूर्ण भारत की प्राथमिक शालाओ में कहीं भी भृत्य की पदस्थापन नहीं है। मुझे शासन ने शाला में शिक्षा देने के लिए पदस्थ किया है झाड़ू लगाने के लिए नहीं । और जब देश के प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री द्वारा झाडू लगाई जा रही है तो अब में क्या ही बोलूं, मैं भ्रत्य नहीं हूं। अतः प्रधानाध्यापक कि इन शब्दों से साफ समझा जा सकता है कि वह अपनी धुन में कितने मस्त हैं। उन्हें शिक्षा और शासन से कोई मतलब नहीं है उन्हें तो सिर्फ अपनी तनख्वाह से मतलब है।
इनका कहना है-
अभी शिक्षक से बात करता हूं अगर ऐसा है तो नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी
धर्मेंद्र चौबे, बीआरसी पथरिया
मैं जांच करवाता हूं अगर ऐसा है तो कार्यवाही की जाएगी
एस के मिश्रा, डीईओ दमोह