नीलेश विश्वकर्मा / पथरिया
मनरेगा के तहत सरकारी हैंडपंपों के पास सोख्ता बनवाने की योजना परवान चढ़ती नजर नहीं आ रही है। कई जगह जहा सोख्ता बेमतलब साबित हो रहे हैं, वहीं निर्माण मानक की अनदेखी से अनेक स्थानों पर सोख्ते अपना वजूद ही खो चुके हैं। हालाकि इस योजना में भारी रकम खर्च की गई है, लेकिन भ्रष्टाचार का घुन इसे चट किए जा रहा है।पथरिया ब्लाक की ग्राम पंचायतों में मनरेगा के तहत सरकारी हैंडपंपों के पास सोख्ता गढ्डे बनाये तो गये मगर सिर्फ कागजों में ही। ग्राम पंचायतों को दिए जाने वाले धन से इन गढ्डों का निर्माण कराया जाना था, लेकिन गड़बड़ी का आलम यह है कि अभी तक ग्राम पंचायतों में हैंडपंपों के पास सोख्ता बनवाने की योजना अव्यावहारिक साबित हुयी। मनरेगा का भारी भरकम बजट इसमें दफन हो गया।,भृष्टाचार के चलते सभी सोख्ता गढ्ढे कुछ ही दिनों में नष्ट हो गये हैं अनेको ग्राम पंचायतों में भी ऐसा ही हुआ।यहां भी लाखों रुपये फूंक दिए गए, लेकिन कई गावों में निर्माण में मानक की अनदेखी के चलते सोखता गढ्डे बेमतलब साबित हो रहे हैं। जिन हैंडपंपों में जरूरत देखी गयी वहा सोखता बनाये गये। लेकिन भृष्टाचार के कारण अनेकगावों में प्राथमिकता के आधार पर हैंडपंपों को चिन्हित किया गया और जहा-जहा भी नाली व फाउंडेशन जर्जर अवस्था में पाये गये, वहा सोखता गढ्डों का निर्माण कराया गया। पथरिया की जनेको ग्राम पंचायतों में भी यही हाल है।वहां औसतन प्रति सोखता गडढा लगभग 20,000 रुपया खर्च आया,मगर घटिया निर्माण के कारण अब ये गायब हो चुके हैं। इसी तरह पथरिया में सोख्ता योजना अपना वजूद कायम नहीं रख पाई।