Sudarshan Today
Other

मज़दूर कामगार ही बनाएंगे भारत का भविष्य – ठाकुर

विश्व मज़दूर दिवस पर श्रमिकों ने ली मतदान की शपथ
आर्यन शेख़ अय्यूब ज़िला ब्यूरो

बुरहानपुर। 1 मई को विश्व मज़दूर दिवस के अवसर पर बुरहानपुर मज़दूर यूनियन के पदाधिकारियों ने ग्राम बहादरपुर पहुंचकर श्रमिक मजदूरों का शाल श्रीफल एवं पुष्पमाला से स्वागत अभिनंदन किया। बुरहानपुर मज़दूर यूनियन अध्यक्ष ठाकुर प्रियांक सिंह ने कहा जिस प्रकार टीचर्स डे, फादर्स डे, वूमेंस डे, आर्मी डे इत्यादि धूमधाम से बनाया जाता है उसी प्रकार अब समय आ गया है देश का नव निर्माण करने वाले श्रमिक मजदूरों को समर्पित विश्व मज़दूर दिवस को देशभर में धूमधाम से मनाया जाए।

ठाकुर प्रियांक सिंह ने आगे कहा किसी भी देश समाज की रीढ़ की हड्डी उस देश का मज़दूर वर्ग होता है जो कड़ी मेहनत मज़दूरी करके देश की आर्थिक सामाजिक प्रगति में अहम भूमिका निभाता है। परंतु बहुत दुःख का विषय है कि मज़दूरों को उनका हक़ सम्मान नहीं मिल पाता। इसके अतिरिक्त मज़दूर कामगारों की आर्थिक स्थिति आज स्वतंत्रता के अमृत काल तक नहीं सुधर पाई है।

 

विश्व मज़दूर दिवस पर की अवकाश की मांग:

गौरतलब है आज का दिन सभी कामगार श्रमिकों के लिए समर्पित है। संपूर्ण दुनिया में मज़दूर दिवस धूमधाम से मनाया जाता है एवं बहुत से देशों में इस दिन अवकाश का प्रावधान होता है। भारत में भी इस दिन सभी श्रमिक मजदूरों को सरकार की ओर से छुट्टी मिलनी चाहिए। स्थानीय स्तर पर भी कलेक्टर चाहे तो अपनी प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग कर अवकाश दे सकते हैं।

श्रमिकों ने ली मतदान की शपथ :

देश में हो रहे लोकसभा चुनाव में 13 मई को अगले चरण के मतदान को देखते हुए ठाकुर प्रियांक सिंह ने बुरहानपुर मज़दूर यूनियन के पदाधिकारियों के साथ सभी श्रमिकों से लोकतंत्र के पर्व में बढ़-चढ़कर भागीदारी सुनिश्चित करने हेतु मतदान की शपथ दिलाकर “पहले मतदान, फिर जलपान” का उद्घोष किया।

 

विश्व मजदूर दिवस का इतिहास :

वर्ष 1886 में अमरीका में मजदूरों का आंदोलन चल रहा था। मजदूरों ने अपने अधिकारों के लिए हड़ताल करना शुरू कर दिया था जिसका मुख्य कारण मजदूरी का समय अन्य कार्य की तरह 8 घंटे सरकार द्वारा तय करना था क्योंकि उस समय मजदूरों को दिन में 15 घंटे काम करना पड़ता था। आंदोलनकारी मजदूरों पर 1 मई 1886 को पुलिस ने गोलीबारी कर दी जिसमें अनेक मजदूरों की जाने गई तो वहीं बड़ी मात्रा में मज़दूर घायल भी हुए। इस आंदोलन से हुआ यह कि मजदूरी की अवधि वर्किंग आवर्स को 8 घंटे तय करने के लिए वहां की सरकार मजबूर हो गई। अतः उन बलिदानी मज़दूरों को समर्पित करते हुए 1 मई को विश्व मज़दूर दिवस (वर्ल्ड लेबर डे) मनाया जाने लगा।

 

भारत में कब से प्रारंभ:

भारत में मज़दूर दिवस मनाने की परंपरा वर्ष 1923 से प्रारंभ हुई जब प्रथम बार चेन्नई में लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान व अन्य मज़दूर संगठनों ने 1 मई को विश्व मज़दूर दिवस मनाने का निर्णय लिया था तब से ही भारत में भी इस दिन मज़दूर दिवस मनाया जा रहा है।

प्रत्येक वर्ष विश्व में लेबर डे पर होती है अलग थीम:

विश्व मज़दूर दिवस (वर्ल्ड लेबर डे) के दिन हर बार अलग थीम होती है। 2023 में सकारात्मक सुरक्षा और स्वास्थ्य संस्कृति की थीम थी तो वहीं 2024 में जलवायु परिवर्तन के बीच कार्यस्थल सुरक्षा की थीम रखी गई है।

Related posts

बंजार किस्को में समाजसेवी राजेश तिर्की ने लोगों को जोड़ने के साथ समाज के उत्थान को लेकर की बैठक

Ravi Sahu

लामता पहुंची भाजपा की जन आशीर्वाद यात्रा

Ravi Sahu

विश्व हिन्दु परिषद कि जिला बैठक होटल राव राइय पैलेस में संपन्न हुई

Ravi Sahu

बुंदेली दमोह महोत्सव में झूला, विभिन्न व्यंजनों और खरीदारी का आनंद उठा ले रहे लोग महोत्सव में मैराथन दौड़ का हुआ आयोजन

Ravi Sahu

मंडल उपाध्यक्ष आज्ञाराम बघेल ने ईगुई पहुंचकर शोक संवेदना व्यक्त की

Ravi Sahu

25,000-25000/- रूपए के इनामी 02 अन्तर्जनपदीय शातिर अपराधी पुलिस मुठभेड़ में गिरफ्तार

Ravi Sahu

Leave a Comment