Sudarshan Today
मध्य प्रदेश

ईश्वरीय रंग में रंगना ही श्रेष्ठ होली मनाना है- ब्रह्माकुमारी रेखा दीदी

धर्मेंद्र गुप्ता की रिपोर्ट

लोकेशन विदिशा

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा गुलाबगंज में अलौकिक होली स्नेह मिलन समारोह का आयोजन किया गया जिसमें ब्रह्माकुमारी रेखा दीदी ने होली का आध्यात्मिक रहस्य बताते हुए कहा कि अब तक हम केवल विसंगतियों की दूसरों के संग के रंग की माया के रंग तथा केवल स्थूल रंगों की ही होली खेलते आए हैं जिससे होली की प्रासंगिकता ही समाप्त हो गई है होली का अर्थ अंग्रेजी के हिसाब से पवित्र होता है जब मनुष्य विविध प्रकार की बुराइयां कुरीतियां काम, क्रोध आदि विकारों के बसीभूत होकर तथा स्वास्थ्य की दृष्टिकोण से हानिकारक रंगों की होली खेलते- खेलते विकार सांप्रदायिकता, भेदभाव और नफरत की दलदल में फंस जाता है। तब कल्याणकारी भोलेनाथ शिव बाबा इस पति सृष्टि पर अवतरित होते हैं और जिन बुराइयों के प्रति नशे के लिए भांग आदि का इस्तेमाल किया जाता है उसे अशुद्ध नशे को समाप्त कर नारायणी तथा ईश्वरीय नशे का ज्ञान अमृत पान कराते हैं तथा सर्व मनुष्य आत्माओं को ज्ञान की होली में रंगते हैं हमें ज्ञान से परिपूर्ण होकर एक दूसरे के ऊपर ऐसे ज्ञान का रंग लगाना चाहिए जिससे मनुष्य आत्माओं के अंदर वसुदेव कुटुंबकम और सद्भावना का साम्राज्य स्थापित हो सके। परमात्मा इस सृष्टि पर हमें अमिट ज्ञान के रंग की होली खेलने के लिए भी भेजते हैं परंतु भौतिक चकाचौंध तथा आत्मविश्वमृति के कारण हम सच्चे रंग को छोड़ तन और मन को अवगुणो में धकेलने वाले रंगों का सहारा लेने लगते हैं। जबकि इस सृष्टि में दो ही रंग हैं एक माया का रंग और दूसरा ईश्वर का रंग, सृष्टि रंग मंच पर हर एक मनुष्य इन दोनों में से एक न एक रंग में तो रंगता ही है निसंदेह ईश्वरीय रंग में रंगना श्रेष्ठ होली मनाना है। क्योंकि इस रंग में रंगे हुए मनुष्य ही योगी है माया के रंग में रंगा हुआ मनुष्य तो भोगी है। ब्रह्माकुमारी रुक्मिणी दीदी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि इस पर्व के संदर्भ में लोगों की यह मानता है कि भोले शंकर परमात्मा खुद ही भाग आदि का सेवन करते हैं परंतु इसकी आध्यात्मिक व्याख्या के अनुसार सृष्टि पर मानव जगत में व्याप्त बुराइयों के विश् का पान करते हैं तथा ज्ञान अमृत की वर्षा करते हैं जिस रंग की बरसात में हर मनुष्य आत्माएं ज्ञान रंग से परिपूर्ण होकर देव तुल्य हो जाती हैं। वास्तव में यह पर्व आत्मा और परमात्मा के संग ज्ञान रंग की होली खेलने का यादगार है। हमें होलिका दहन में अपनी बुराइयां, नफरत, अहंकार, वासना तथा आसुरी वृत्तीयां जो स्वयं को तथा दूसरों को भी प्रभावित करती हैं उसको सुहा कर देना चाहिए। परमात्मा शिव द्वारा दिए हुए आध्यात्मिक ज्ञान से रंगे हुए मनुष्य आत्माओं से, संसार से भेदभाव तथा नफरत की आंधी और सामाजिक विकृतियों का नाश हो जाता हैं और फिर एक नई युग की शुरुआत होती है तो हम केवल स्थूल रंग में नहीं बल्कि आध्यात्मिक रंग और ज्ञान के रंग में रंगे तथा आने वाली सुखी दुनिया में जाने की अधिकारी बने। राकेश कटारे जी ने कार्यक्रम के प्रति सद्भावना रखते हुए कहा कि आपने अपना पूरा जीवन ईश्वरीय सेवा मानव उत्थान एवं चरित्र निर्माण के कार्य में लगाया है यह हर कोई नहीं कर सकता आपने गुलाबगंज में सुख शांति की लहर फैला दी है चारों ओर सकारात्मक प्रकंपन है माता बहनों को सही दिशा दिखाने का कार्य कर रहे हैं। इस तरह के आयोजन होते रहे। कार्यक्रम में जगदीश प्रसाद सेठ, अरुन खेरा, प्राची गुप्ता, हाकम सिंह रघुवंशी, ओमकार, रजनी, आदि अधिक संख्या में लोग उपस्थित रहे।

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