Sudarshan Today
BODA

जैसा करोगे वैसा पाओगे इसे कोई नही बदल सकता ० पंडित प्रभु नागर।

सुदर्शन टुडे (ओमप्रकाश राठौर बोड़ा पत्रकार)

बोड़ा:- निप्र ग्राम उमरी में श्री मद भगवात कथा में मालवा के संत पंडित कमल किशोर नागर के बेटे पुत्र पंडित प्रभु नागर ने कथा के दूसरे दिन क्षेत्रीय जनमानस के साथ दूर दराज से भक्त शामिल होकर ज्ञान गंगा में डुबकी लगा रहे है। जिसमें अपनी मधुर मालवी बोली से संत प्रभु जी नागर ने व्यास पीठ से कहा कि मालवा और राजगढ़ हमे अपने परिवार जेसा है।उन्होंने कहा कि श्री मद भागवत कथा का मूल् भाव य़ह है कि इस संसार मे केसे रहे ग्रहस्थ केसे चलाये और साथ में भगवान को केसे प्राप्त करे। इसलिए हमे इस संसार को किराये का घर समझना चाहिए। हमे यह सब भगवान को समर्पित करके कर्म करने चाहिए। नागर जी ने कहा की जिस प्रकार मंदिर में पुजारी पूजा कर्ता है और और गाव वाले उसे जीविका चलाने के लिए कुछ जमीन खेती के लिए देते है और पूजा समय पर नहीं करने पर गाव वाले उसे बदल देते है ।उसी प्रकार परमात्मा का भजन न करने पर इस देह को बदल देता है। और कहा कि नाथ भले ही धनवान मत बनाना पर भाग्यवान और यजमान बना देना है।भगवान हमे हमेशा अच्छे कार्य से जोड़ते रहना क्योंकि भगवान अधार्मिक व्यक्ति का धन भी धार्मिक कार्य में नहीं लगने देता। आज के समय मे समय का दान सबसे बड़ा दान है जो आप सभी आज समय दान दे रहे है और कह की यह शरीर बैंक लोन जेसा है इसे भगवान प्राप्ति में समय समय जप के माध्यम से किस्तें भरते रहना चाहिये ।श्री नागर ने समझाया कि जान बुझ कर किये गये पाप का फल भुगतना ही पड़ता है और जाने अनजाने में किया गया पास का प्राश्चित हो सकता है  अपनी वाणी पर नियंत्रण होना चाहिए और कभी भी अपने मन मे कर्ता भाव न आये और जो भी कर्ता है वह सब परम पिता परमेश्वर कर्ता है हम और आप तो निमित मात्र है उन्होंने 14 लोक का वर्णन किया और बताया कि हम जहा निवास करते है वह म्रत्यु लोक है हमे एक दूसरे से मिलते समय या बात करते समय अन्य फालतू राजनीति की बाते या लड़ाई झगडे की बात न करते हुए भगवान की बाते करे और सनातन की चर्चा करे जिससे समय का सदुपयोग होगा और जिस घर मे भगवान की चर्चा होती है वह नारद जी जरूर आते है और नारदजी के साथ नारायण जी भी आ जाते है जिस घर मे भगवान की चर्चा होती है वह परिवार सब बंधन से मुक्त होकर शिव परिवार हो जाता है सद्गुरु देव ने कृपा का कई उदाहरण देकर अर्थ समझाया कि पहले करो और फिर पाओ और संसार का अटल सत्य है कि जेसा करोगे वेसा पाओगे इसे कोई नहीं बदल पाएगा हमे अपने जीवन मे किसी से ज्यादा आसा नहीं रखनी चाहिये नहीं तो बाद में य़ह आशा ही रुलाती है पूज्य गुरु देव ने पाप पुण्य के शरीर में प्रवेश को बहुत ही मार्मिक ढंग से समझाया । श्रीं मद भागवत कथा में रोज शाम को ठहरे हुए गौ भक्तों के किये सामुहिक भंडारे का आयोजन किया जा रहा है। जो सात दिवसीय निरंतर जारी रहेगी।भागवत कथा के मुख्य यजमान संजय सिंह राजपूत ने समापन महाआरती की श्री मद भागवत कथा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग ले रहे हैं।

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