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आखिर किसकी सहमति से बिना जांच के हितग्राहियों के खाते में भेज दी गई राशि

जिला ब्यूरो रूपेन्द्र राय

निवाड़ी। प्रदेश के चर्चित कन्या विवाह सहायता योजना में नियम विरुद्ध तरीके से इतने ज्यादा प्रकरण आखिर किसकी सहमति से बनाकर इतने बड़े पैमाने पर जिला मुख्यालय पर ही घोटाले को अंजाम दे दिया गया। जानकारी के अनुसार सत्र 2019-20 में मात्र 50 विवाह प्रकरण बनाकर कार्यक्रम आयोजित किया गया था लेकिन अगले साल ही य़ह संख्या दस गुना से ज्यादा होकर 514 हो गई उस समय तत्कालीन जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने इस बात पर ग़ौर क्यों नहीं किया अगर य़ह घोटाले की कहानी उस समय सबके सामने आ जाती तो शायद भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों के हौंसले इतने बुलन्द नहीं होते कि ठीक उसके अगले साल ही 1678 नए प्रकरण बनाकर उससे भी बड़ा घोटाला कर देते। किसी भी कार्यालय में किसी भी छोटे कर्मचारी की इतनी बड़ी हिम्मत नहीं होती कि बिना किसी सरपरस्त के करोड़ों तो क्या हजार रुपये का भी हेर-फेर कर ले। बैसे तो नियमानुसार अगर एक साल में अगर 58 विवाह प्रकरण ही बनाये जाते हैं तो इन तीन वर्षो में 174 विवाह ही स्वीकृत किए जाने चाहिए लेकिन इन तीन साल में उससे उल्टा 2222 प्रकरण बना कर रुपयों का बंदरबांट कर लिया गया। यानि कि 2048 विवाह प्रकरण बनाकर 51000 रुपये के हिसाब से एक करोड़ चबालीस लाख से अधिक रूपयों का घोटाला कर जिले का नाम रोशन करने में सहयोग किया।कलेक्टर के निर्देश पर भी श्रम विभाग ने नहीं की अभी तक कोई कार्यवाही जिला कलेक्टर के भेजे गए पत्र के बाद भी श्रम विभाग के द्वारा इस मामले में अभी तक कोई भी कार्यवाही नहीं की गयी, प्राप्त जानकारी के अनुसार 22/6/2022 को तत्कालीन कलेक्टर तरुण भटनागर के निर्देश के बावजूद अभी तक इस मामले में एक भी एफ आई आर दर्ज नहीं की गई जबकि तत्कालीन कलेक्टर तरुण भटनागर ने श्रम अधिकारी धर्मेंद्र नरवरिया को इस मामले में संबंधित दोषियों के खिलाफ f.i.r. के निर्देश दिए गए थे प्राप्त जानकारी के अनुसार इस पूरे मामले में तत्कालीन कलेक्टर द्वारा मौखिक तौर पर जनपद सीईओ के खिलाफ f.i.r. की लिए कहा गया था लेकिन उसमें भी सीईओ द्वारा एफआईआर के लिए न्यायालय से स्टे ले लिया गया सूत्रों की मानें तो कलेक्टर के द्वारा मौखिक रूप से सिर्फ सी ओ पर एफआईआर के लिए यह कहा गया तो क्या पूरे मामले में सिर्फ जनपद सीईओ ही दोषी माने जाएंगे और फिर आदेश में य़ह भी स्पष्ट कहा गया था कि संबन्धित दोषियों के खिलाफ एफ आई आर दर्ज कराई जाए। बहरहाल लेकिन पूरे मामले में एक वर्ष बाद भी अब तक किसी के खिलाफ हुई एक भी एफ आई आर दर्ज नहीं कराई गई जबकि जिस अधिकारी ने जिस अधिकारी को लिखित रूप से निर्देशित किया था दोनों लोगों का यहाँ से स्थानांतरण भी हो गया है।

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