जिला ब्यूरो राहुल गुप्ता दमोह
दमोह। ग्राम फुलर मे चल रही श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस मे कथा वाचक आचार्य पंडित रवि शास्त्री महाराज ने श्री कृष्ण अवतार की कथा सुनाई साथ ही बड़ी धूमधाम से जन्म उत्सव मनाया गया। पृथ्वी पर जब जब पाप बढ़ता है तब परमात्मा श्री हरि विष्णु अनेक रूपो मे अवतार लेकर पापियो का विनाश करके धर्म की स्थापना करते हैं इसी क्रम में धर्म रक्षा के लिएभगवान श्री हरि विष्णु ने द्वापरयुग मे कंस की मथुरा स्थित जेल में वसुदेव के पुत्र श्री कृष्ण के रूप में अवतार लिया था भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथी भाद्रपद दिन बुधवार रोहिणी नक्षत्र में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था. श्री कृष्ण का जन्म मथुरा की कारागर में रोहिणी नक्षत्र में माता देवकी के गर्भ से आंठवी संतान के रूप में हुआ था. जन्म के बाद श्री कृष्ण को गोकुल भेज दिया था द्वापर युग में मथुरा के उग्रसेन राजा के बेटे कंस ने उन्हें सिंहासन से उतार कर कारगार में बंद कर दिया था और खुद को मथुरा का राजा घोषित कर दिया था. राजा का पुत्र कंस था देवक की कन्या देवकी का विवाह वसुदेव के साथ तय कर दिया गया और बड़ी धूम-धाम के साथ वसुदेव के साथ उनका विवाह कर दिया गया. लेकिन जब कंस देवकी को हंसी-खुसी रथ से विदा कर रहा था, उस समय आकाशवाणी हुई की, देवकी का आठवां पुत्र उसका वध करेगा यह आकाशवाणी सुनकर कंस डर गया और वह घबरा गया. आकाशवाणी के बाद कंस ने बहन देवकी का बध करने की ठान ली. लेकिन उस दौरान वसुदेव ने कंस को समझाया कि देवकी को मारने से क्या होगा. देवकी से नहीं, बल्कि उसको देवकी की आठंवी संतान से भय है. वसुदेव ने कंस को सलाह दी कि जब हमारी आठवीं संतान होगी तो हम आप को सौंप देंगे. आप उसे मार देना. कंस को वासुदेव की ये बात समझ आ गई. क्रमशरूदेवकी और वसुदेव की सात संतानों को कंस मार चुका था. अब आठवां पुत्र होने वाला था. आसमान में घने बादल छाए थे, तेज बारिश हो रही थी, बिजली कड़क रही थी और भगवान श्री कृष्ण का जन्म लेने वाले थे. रात्रि ठीक 12 बजे कारगार के सारे ताले अपने आप टूट गए और कारगार की सुरक्षा में लगे सभी सैनिक गहरी नींद मे सो गए. उसी समय वासुदेव और देवकी के सामने भगवान श्री विष्णु प्रकट हुए और उन्हें कहा कि वे देवकी के गर्भ से आठवें पुत्र के रूप में जन्म लेंगे. इतना ही नहीं, भगवान विष्णु ने कहा कि वे उन्हें गोकुल में नंद बाबा के यहां छोड़ आएं और वहां अभी-अभी जन्मी कन्या को कंस को लाकर सौंप दें.। वसुदेव ने भगवान विष्णु के बताए अनुसार ही किया. गोकुल से लाए कन्या को कंस को सौंप दिया. कंस ने जैसे ही कन्या को मारने के लिए हाथ उठाया, कन्या आकाश में गायब हो गई और आकाशवाणी हुई कि कंस जिसे मारना चाहता है वो तो अपने स्थान पर पहुंच चुका है. ये आकाशवाणी सुनकर कंस और घबरा गया. कृष्ण को मारने के लिए कंस ने बारी-बारी से राक्षस गोकुल भेजे लेकिन कृष्ण ने सभी का वध कर दिया. आखिर में श्री कृष्ण ने कंस का भी वध कर दिया.