सुदर्शन टुडे ब्यूरो दुर्गा शंकर सिंह राजपूत की रिपोर्ट
हरियाणा,
भारत मे हर वर्ष 14 नवम्बर को बालदिवस देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन के रूप मे मनाया जाता है क्योकि उनको बच्चो से गहरा स्नेह था।
लेकिन प्रत्येक वर्ष बालदिवस मनाने की मूल भावना बच्चों के प्रति अपने कर्तव्यों एवं जिम्मेदारियों का एहसास करवाकर उनके मानसिक और शारीरिक विकास की योजनाएं बनाकर उनको कार्यान्वित करना है ये विचार शिक्षक व सामाजिक कार्यकर्ता राजेश उन्हाणी भी बालदिवस कि पूर्व संध्या पर व्यक्त किए।
उन्होने आगे कहा कि बच्चों के उज्ज्वल भविष्य को बनाने के लिये उनमें सुधार के साथ साथ देश में बच्चों के महत्व, वास्तविक स्थिति के बारे में लोगों को जागरूक करके हर साल बाल दिवस मनाया जाना बहुत जरूरी है क्योंकि वे देश के भविष्य हैं। बाल दिवस उत्सव सभी के लिये मौका उपलब्ध कराता है खासतौर से भारत के उपेक्षित बच्चों के लिये। बच्चों के प्रति अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों के एहसास के द्वारा उन्हें अपने बच्चों के भविष्य के बारे में सोचने पर मजबूर करता है। ये देश में बच्चों के बीते हुई स्थिति और देश के उज्ज्वल भविष्य के लिये उनकी सही स्थिति क्या होनी चाहिये के बारे में लोगों को जागरूक करता है। ये केवल तब ही मुमकिन है जब सभी लोग बच्चों के प्रति अपनी जिम्मेदारी को गंभीरता से ले।
राजेश उन्हाणी ने आगे बताया कि आज के बच्चे ही कल का भारत हैं। अगर हम एक महान भारत का निर्माण करना चाहते हैं तो हमें इन मासूमों की तरफ बहुत ध्यान देना होगा उन्हे अच्छी शिक्षा और अच्छे संस्कार देने होंगे तभी जाकर हमारा भारत महान बन पायेगा।
बच्चों की भावनाओं को समझें। बाल दिवस को मात्र सांस्कृतिक कार्यक्रमों और समारोहों तक ही न सीमित रहने दें अपितु बाहर निकलें और उन बच्चों के लिए कुछ करें जो जीवन के अन्धकार में भटक रहे हैं। हमें एक ऐसे बालदिवस की जरूरत है जिसमें सिर्फ स्कूलों तक ही नहीं बल्कि समाज में रह रहे हर बच्चे को यह अहसास दिला सके कि उनका भी इस देश में एक अस्तित्व है वो भी इस देश में एक सम्मान भरा जीवन जीने का अधिकार रखते हैं।