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dindoriमध्य प्रदेश

पेयजल परिवहन और आपूर्ति के सम्बन्ध में आयोजित बैठक

सुदर्शन टुडे भास्कर पाण्डेय एम‌ पी हेड

कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी विकास मिश्रा ने लोकसभा निर्वाचन 2024 और आगामी ग्रीष्म ऋतु के मद्देनजर पेयजल परिवहन और आपूर्ति के लिए कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में समीक्षा बैठक ली। उक्त बैठक में सीईओ जिला पंचायत सुश्री विमलेश सिंह, डिप्टी कलेक्टर वैद्यनाथ वासनिक सहित सीईओ जनपद, तहसीलदार और पीएचई विभाग के अधिकारीगण मौजूद रहे।

कलेक्टर मिश्रा ने पेयजल आपूर्ति को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए सम्बंधित अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए। निर्वाचन के दौरान पेयजल आपूर्ति को सुनिश्चित करना सीएमओ नगर परिषद, सीईओ जनपद पंचायत और पीएचई विभाग की सामूहिक जिम्मेदारी है। पेयजल से सम्बंधित किसी भी प्रकार की समस्या को समन्वित होकर सुलझाना है। उक्त कार्य के लिए जल अधोसंरचना की स्थिति का आकलन कर उसको ठीक करना, कुओं की सफाई, पानी की टेस्टिंग आदि को पूर्ण करने के निर्देश दिए।
कलेक्टर मिश्रा की प्राथमिकता है कि जिले में पेयजल परिवहन की स्थिति को न्यूनतम स्तर पर लाना है। उन्होंने कहा कि अत्यंत आवश्यक होने पर ही पेयजल परिवहन का विकल्प अपनाएं। पेयजल आपूर्ति को निर्बाध रूप से पूरा करने के लिए अधिकारियों को एक एक महीने के हिसाब से कार्य योजना बनाकर उस पर अमल करने के निर्देश दिए है। कार्ययोजना पर पीएचई, जनपद और जिला पंचायत, और विद्युत् विभाग आपसी समन्वय से कार्य करें।
कलेक्टर मिश्रा ने सभी को निर्देशित किया है कि 19 अप्रैल को होने जा रहे मतदान में ऐसी कोई भी पेयजल संबंधित समस्या उत्पन्न ना हो, जिससे मतदान में बाधा आये।
मतदान केंद्रों में पेयजल आपूर्ति के साथ ही ग्रीष्म ऋतू को ध्यान में रखते हुए आपसी सहभागिता के साथ सुदृढ़ कार्य करें। उन्होंने बताया कि समय-समय पर कई जिलों में ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल स्रोत सूख जाने के कारण पेयजल संकट का सामना करना पड़ता है। इस संकट के लिए योजना बनाकर सर्वप्रथम ग्राम पंचायत के माध्यम से पेयजल के वैकल्पिक स्रोत आकलन करें। अगर पेयजल के स्रोत मरम्मत योग्य हैं, तो सबसे पहले उन स्त्रोतों की मरम्मत की जाये। इस कार्य में लोक-स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, जल-संसाधन विभाग एवं ग्रामीण विकास विभाग आपसी सहयोग से कार्य करें। उपायों के किए जाने के बाद भी यदि पेयजल की समस्या है, तो पेयजल परिवहन के लिए स्थानों को चिन्हित किया जाये। ग्रामीण क्षेत्र में पेयजल परिवहन की अनुमति अनुविभागीय अधिकारी राजस्व द्वारा जारी की जा सकेगी। अनुमति में परिवहन अनुमति के राजस्व ग्राम, मजरा, टोला आदि का वर्णन एवं प्रतिदिन टैंकर के अधिकतम फेरों का वर्णन करना आवश्यक है। निर्धारित फेरों से अधिक परिवहन का व्यय और अनुविभागीय अधिकारी की पूर्व-अनुमति के बिना किया गया व्यय भी मान्य नहीं होगा। पेयजल परिवहन 1.6 किलोमीटर से अधिक दूरी से ही किया जा सकता है। उपरोक्त से कम दूरी को स्थिति में पाइपलाइन या अन्य साधनों से पेयजल की व्यवस्था की जाएगी। इसी प्रकार शहरी क्षेत्रों में भी ऐसी ही कार्य योजना बनाकर कार्य करने के निर्देश दिए।
कलेक्टर मिश्रा ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि निर्वाचन के दौरान पेयजल के मुद्दे पर चुनाव में बाधाएं उत्पन्न की जाती है। इसलिए निर्वाचन कार्य शांतिपूर्ण रूप से पूरा करने के लिए पेयजल आपूर्ति को प्राथमिकता के साथ पूरा करें और पेयजल परिवहन का उपयोग अत्यंत आवश्यकता होने पर अंतिम विकल्प के रूप में ही करें।

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