संवाददाता सुदर्शन टुडे,जवेरा दमोह
घटेरा ग्राम के खेर माता मंदिर के समीप विराजमान मां दुर्गा के प्रांगण में नवरात्रि पर्व को लेकर पंडित ऋषिकांत गर्ग ने बताया कि मां दुर्गा स्वयं शक्ति स्वरूपा हैं और नवरात्रि में सभी भक्त आध्यात्मिक शक्ति, सुख-समृद्धि की कामना करने के लिए इनकी उपासना करते हैं और व्रत रखते हैं. जिस राजा के द्वारा नवरात्रि की शुरुआत हुई थी उन्होंने भी देवी दुर्गा से आध्यात्मिक बल और विजय की कामना की थी. वाल्मीकि रामायण में उल्लेख मिलता है कि, किष्किंधा के पास ऋष्यमूक पर्वत पर लंका की चढ़ाई करने से पहले प्रभु राम ने माता दुर्गा की उपासना की थी. ब्रह्मा जी ने भगवान राम को देवी दुर्गा के स्वरूप, चंडी देवी की पूजा करने की एवं 108 नीलकमल अर्पित करने की सलाह दी और ब्रह्मा जी की सलाह पाकर भगवान श्री राम ने प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक चंडी देवी की उपासना और पाठ किया था और हवन के बाद 108 नीलकमल भी अर्पित करने है नीलकमल मिल पाना बड़ा दुर्लभ रहता है लेकिन वानरों की मदद है वह प्राप्त हो गए जब रावण को यह पता चला की श्रीराम देवी चण्डी की पूजा कर रहे है तो उसने अपनी मायावी शक्ति से एक नील कमल गायब कर दिया. चंडी पूजा के अंत में जब भगवान राम ने वे नील कमल चढ़ाए तो उनमें एक कमल कम निकला. यह देखकर वो चिंतित हुए और अंत में उन्होंने कमल की जगह अपनी एक आंख माता चंडी पर अर्पित करने का फैसला लिया. अपनी आंख अर्पित करने के लिए जैसे ही उन्होंने तीर उठाया तभी माता चंडी प्रकट हुईं और माता चंडी उनकी भक्ति से प्रसन्न हुईं और उन्हें विजय का आशीर्वाद दिया फिर प्रतिपदा से लेकर नवमी तक माता चंडी को प्रसन्न करने के लिए प्रभु श्री राम ने अन्न जल कुछ भी ग्रहण नहीं किया. नौ दिनों तक माता दुर्गा के स्वरूप चंडी देवी की उपासना करने के बाद भगवान राम को रावण पर विजय प्राप्त हुई थी. ऐसा माना जाता है कि तभी से नवरात्रि मनाने और 9 दिनों तक व्रत रखने की शुरुआत हुई. ऐसे में भगवान राम ही नवरात्रि के 9 दिनों तक व्रत रखने वाले पहले राजा और पहले मनुष्य थे.