संवाददाता, नर्मदापुरम
नर्मदापुरम । ओणम पर्व दक्षिण भारत में मुख्यतः: केरल का सबसे प्राचीन और पारंपरिक उत्सव माना जाता है, जिसे दस दिनों तक बेहद हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। ओणम पर्व के दौरान अपने घरों को फूलों और रंगोली से सजाते हैं और इन दिनों भगवान विष्णु और महाबली की विधि विधान के साथ पूजा की जाती है। साथ ही यह पर्व नई फसल की अच्छी उपज की खुशी में भी मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन राजा महाबली पाताल लोक से धरती पर अपनी प्रजा को आशीर्वाद देने के लिए आते हैं, जिसकी खुशी में यह त्योहार मनाया जाता है। उनके ही स्वागत में घरों में साफ सफाई की जाती है और अच्छे से सजाया जाता है। साथ ही एक मान्यता यह भी है कि इस दिन भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया था।
इस पर्व के लिए विशेष रूप से ओणम साद्य यानी जिसका मलयालम में अर्थ होता है ‘भोज’। इसमें शाकाहारी भोजन बनाएं जाते हैं। इसमें केले के पत्ते पर 24 व्यंजन होते हैं, जिनसे यह खास पर्व मनाया जाता है। नर्मदापुरम के बैजू जोसफ के घर के आगन में यह फूलों की रगोली शायनी जोसफ ने 15 किलो के फूलों से बनाई है जिसमें गुलाब, चांदनी,पारिजात, चेमनती, दो रगों के गेदे और चांदनी के कटे हुए पतों का इस्तेमाल किया गया है। इस रगोंली को बनाने में 3.30 घंटे का समय लगा। साथ ही इस पर्व में घर पर आ रहे मेहमानों का विशेष व्यंजनों से स्वागत किया गया