ब्यूरो रिपोर्ट सुदर्शन टुडे दुर्गा शंकर सिंह
बलिया, सिकंदरपुर, मनियर मार्ग पर करीब छह किलोमीटर की दूरी पर स्थित खरीद गांव का यह दिव्य व पौराणिक मंदिर आस्था का केंद्र है यहां पूरे वर्ष दर्शनार्थियों का तांता लगा रहता है नवरात्र में तो यहा संख्या कई गुना बढ़ जाती है भगवती की आराधना कर रहे सभी श्रद्धालुओं को मनोकामना भी पूर्ण होती है पुजारी बृजराज उपाध्याय जी ने बताया कि जाफरानी खरीद नाम का इलाका जंगल हुआ करता था इसी जंगल में घाघरा नदी के तट पर मेघा ऋषि का आश्रम था अपना राजपाट गवा देने के बाद राजा सूरथ समाधि नामक व्यक्ति इस आश्रम में पहुंचे थे दोनों की व्यथा सुन ऋषि ने उन्हें देवी उपासना की सलाह दी दोनों ने नदी तट पर देवी की मिट्टी की मूर्ति बनाकर क ई वर्षों की तपस्या के बाद देबी माँ ने दर्शन दिया राजा और समाधि बैशव को राजा और समाधि मनवांछित सिद्धि के कल्याण का वरदान मांगा था अपना आशीष स्वादिष्ट सिद्धि का वरदान दे मां अंतर्धान होने के मां की मिट्टी की प्रतिमा सोने की हो गई पुराणों में इस स्थान पर परशुराम व वीर लोरिक आदि के भी मां की पूजा करने के प्रसंग मिलते हैं आज के समय में ग्रामीणों के सहयोग से मां का भव्य मंदिर बन चुका है