सुदर्शन टुडे ज़िला ब्यूरो चीफ रिमशा खान
सिरोंज। महाकाल चेरिटेबिल ट्रस्ट द्वारा छत्री नाका स्थित हनुमान मंदिर में चल रही श्रीमद भागवत कथा के चौथे दिन पं प्रमोद चतुर्वेदी ने कथा का वाचन करतें हुए बताया कि चराचर जगत में कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं है जो माया को पकड़ सके। बल्कि सभी जीवों को माया नें ही जकड़ रखा है, प्रसंग सुनाते हुए बताया की जब वसुदेव जी भगवान श्री कृष्ण को गोकुल में छोड़ कर वहां से योग माया को लेकर आए तो कंस ने उसे पकड़ कर मारना चाहा परन्तु वह उससे छूट कर आकाश में स्थित हो गई और कंस के काल के जन्म की घोषणा की जिसे सुनकर कंस भयभीत रहने लगा। गोकुल में नन्द बाबा- जयोदा के यहां पुत्र जन्म के समाचार मिलते ही समस्त ब्रज मंडल के हर्ष और आनन्द का माहौल हो गया और नन्द भवन में भगवान का जन्म महोत्सव मनाया गया। कथा के दौरान उन्होंने बडे ही रोचक तरीके से भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन किया। यदुवंशियों के कुल पुरोहित गर्गाचार्य द्वारा भगवान श्रीकृष्ण और बलराम जी के नाम करण, माता जशोदा द्वारा भगवान श्री कृष्ण को रस्सी द्वारा उलूख में बांधने से भगवान का नाम दामोदर पड़ने और उसे उलूख से कुबेर के पुत्र जो नन्द भवन में पेड़ बन कर खड़े हुए थे अपने निज स्वरूप में आने की कथा को विस्तार से सुनाया गया। भगवान श्री कृष्ण की मथुरा लीला के प्रसंग को सुनाते हुए बताया कि भगवान के मथुरा आने पर भगवान द्वारा धोबी के अभिमान को चुर करना तथा दर्जी एवं सुदामा माली से स्वागत प्राप्त कर उन्हें धन्य करना एवं कुब्जा द्वारा चन्दन प्राप्त कर उसे सर्वांग सुन्दरी बनाने के प्रसंग को सुनाते हुए बताया कि भगवान को जो भाव से थोड़ा देता है उसे भगवान संपूर्ण एश्वर्य प्रदान कर देता है। कथा के दौरान कंस द्वारा भगवान श्री कृष्ण एवं बलराम को मारने की योजना को विफल करते हुए भगवान ने कुवलियापीड़ हाथी को खेल ही खेल में मार कर युद्ध भूमि में प्रवेश किया। कंस के सैनिक चाणुर एवं मुष्ठिक को मारकर पापी कंस को उसके किए हुए एक-एक पाप को याद कराकर उसका अन्त किया। जब कभी कोई पापी के पाप अत्यधिक बढ जाते है तो भगवान उन्ही पापों को माध्यम बनाकर अपनी लीला से ही उस पापा का अन्त कर देते है जिससे संपूर्ण मथुरा नगरी में हर्ष का माहौल छा गया। इस अवसर पर भागवत कथा में मुख्य यजमान पूर्व जनपद अध्यक्ष जितेन्द्र बघेल सहित बडी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।