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बैतूल

बैतूल में मिली नहीं दलहनी फसल गडवाल पहचान दिलाने में जुटा की वीके राष्ट्रीय पादक ब्यूरो करेगा अनुसंधान

जिला ब्यूरो चीफ रामेशवर लक्षणे

बैतूल जिले के आदिवासी अंचल में उगाई जाने वाली पारंपरिक गडवाल की दलहनी फसल को राष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए शुरुआत की गई है इस फसल को जिले के नाम पर जी आई टैग बैतूल दलहनी फसल गढ़वाल को पहचान दिलाने और उसके संरक्षण के लिए राष्ट्रीय पादप अनुवांशिकी अनुसंधान ब्यूरो भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के सहयोग से विकासखंड भीमपुर में प्रयास किए जा रहे हैं

25 गांव में होती है फसल

डॉक्टर आरडी बार बेटे ने बताया कि गडमल जिले के विकासखंड भीमपुर के आदिवासी गांव दामजीपुरा बटकी डूलारिया गोबरबेल जैसे लगभग 25 गांव के आदिवासी कृषकों द्वारा उगाई जाने वाली नई दलहनी फसल है जिसकी देश या विश्व स्तर पर कहीं कोई वैज्ञानिक पहचान नहीं है यहां फसल लेट यानी सितंबर माह में बोई जाती है लगभग 90 दिन में पककर तैयार होती है प्राकृतिक कारणों से खरीफ की प्रमुख फसलें असफल होने पर इसका उत्पादन लिया जा सकता है डॉ बारपेट्रे ने बताया कि यह दलहनी फसल आदिवासियों के द्वारा दाल के रूप में एवं इसका आटा बनाकर रोटी के रूप में उपयोग की जाती है पीडियो से यह फसल आदिवासियों के द्वारा उगाई जाए रही है एवं खाने के अलावा आदिवासियों द्वारा उनके धार्मिक अनुष्ठान में भी इसका प्रयोग किया जाता है
विषाणु रोग मोजैक के प्रकोप से इसका क्षेत्रफल एवं उत्पादन कम हुआ है

कार्यक्रम में राष्ट्रीय पादप अनुवांशिक संसाधन ब्यूरो नई दिल्ली के वैज्ञानिकों ने गडमल के बीज पौधे फलौदी के नमूने एकत्र किए गए वैज्ञानिक अध्ययन के बाद इस फसल को देश और विश्व के स्तर पर पहचान और संरक्षण दिलाने की संभावना है कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा इस फसल को जिले के नाम पर जीआई टैग दिलवाने के लिए प्रयास किया जा रहा है
कार्यक्रम में राष्ट्रीय पादप अनुवांशिक संसाधन ब्यूरो नई दिल्ली के वैज्ञानिकों ने गढडवाल के बीज पौधे फल आदि के नमूने एकत्र किए गए वैज्ञानिक अध्ययन के बाद इस फसल को देश और विश्व के स्तर पर पहचानो संरक्षण लाने की संभावना है कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा इस फसल को जिले के नाम पर जीआई टैग दिलाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं

इस दाल पर होगा अनुसंधान

रिसर्च पेपर जमा होने सहित अनौपचारिकताओ के बाद भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली द्वारा बैतूल जिले के गजमल की नई दलहनी फसल के रूप में चिन्हित हो जाने के बाद इसके संरक्षण उत्पादन बढ़ाने सहित वैल्यू एडिशन के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली जवाहरलाल नेहरू कृषि वीवी जबलपुर तथा अन्य कृषि विश्वविद्यालय द्वारा अनुसंधान किए जाएगा इसके बाद बैतूल जिले के गडवाल की तकनीकी खेती की शुरुआत होगी बैतूल जिले में नई दिलहनी फसल गडवाल की खेती व्यापक पैमाने पर शुरू होने से यहां आदिवासियों सहित अन्य वर्ग के कृषकों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी वहीं राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बैतूल जिले की नई पहचान मिलेगी

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