भैंसदेही – मनीष राठौर
भैंसदेही भारतीय किसान संघ तहसील भैंसदेही द्वारा महामहिम राष्ट्रपति महोदय के नाम तहसीलदार संजय बारस्कर को विभिन्न मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा। जिसमें भारतीय किसान संघ ने तीन कृषि कानून अब अध्यादेश ही थे तब ही सितंबर 2020 में 20,000 ग्राम समितियों के माध्यम से प्रधानमंत्री एवं कृषि मंत्री के नाम ज्ञापन भेजे थे। तत्पश्चात 8 सितंबर 2021 को 513 जिलों केंद्रों किसान संघ ने 1 से 10 जनवरी तक लागत आधारित लाभकारी मूल्य के विषय पर जन जागरण करते हुए 11 जनवरी को माननीय राष्ट्रपति महोदय को तहसील केंद्रों से ज्ञापन प्रेषित किया गया है गत वर्ष व्यापार 3 कानून केंद्र सरकार द्वारा लाए गए थे जिसे भारतीय किसान संघ पहले से ही स्वस्थ प्रतिस्पर्धात्मक बाजार के पक्ष में रहा है।
राजस्थान, महाराष्ट्र, तेलंगाना में इस संदर्भ में आंदोलन भी भारतीय किसान संघ ने किए थे इन तीनों कानूनों के आने यह अपेक्षा बनी थी कि यह कमी अब पूरी हो जाएगी किंतु इनमें कुछ महत्वपूर्ण सुधारों की फिर आवश्यकता थी जिसके लिए किसान संघ ने जब से अध्यादेश आए तब से आवाज उठाई थी एक और बड़ी कमी इन कानूनों में थी कि इसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य का कहीं उल्लेख नहीं किया गया किसानों को पूरी तरह से बाजार के हवाले कर दिया गया न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकारी खरीदी 8 से 9% होती थी अधिकांश किसान जो उपरोक्त c2+ भूमि का बाजार रेट पर किराया + कृषि यंत्रों की घिसावट या पुराने होने के कारण मूल्य हास प्लस या स्वयं के ट्रैक्टर एवं साइकिल के समस्त व्यय किसान परिवार को कुशल प्रबंधक की मजबूरी प्लस विद्युत ट्यूबवेल ड्रिप एवं औजारों की मरम्मत खर्च भी जुड़ेंगे दुनिया में कहीं भी विक्रेता पर यह लागू नहीं होता केवल क्रेता से ही वसूली होती है परंतु भारत में किसान को अपना माल बेचने के लिए कर कमीशन देना पड़ता है जिसे वह और किसी से वसूल नहीं कर सकता है किसान खेती में प्रयुक्त अनाजों को अधिकतम खुदरा मूल्य पर खरीदता है और अपना माल न्यूनतम समर्थन मूल्य पर या उससे नीचे कर का भुगतान करते हुए बेचता है इस अवस्था के कारण वह गरीब से और गरीब हो जाता है और एक दिन खेती छोड़ने या आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाता है सरकार जो समर्थन मूल्य की गणना करती है उसमें बहुत खामियां हैं किसान के लिए इस गणना में अकुशल मजदूर की मजदूरी जोड़ी जाती है जबकि खेती पूरा प्रबंधक करता है लेकिन जो सबसे महत्वपूर्ण है वह यह है कि तो सूत्रों में किसानों को अकुशल श्रमिक की दर से भुगतान का प्रावधान है जबकि किसान को करोड़ों रुपए की जमीन कुआं या ट्यूबवेल विद्युत कनेक्शन ट्रैक्टर और उसके सारे साजो सामान सोलर कनेक्शन रिपेयर वस्था पाइप लाइनों खेतों को मजबूत तारबंदी इन सभी की संपूर्ण व्यवस्था अर्थात एक उद्योगपति की भांति निवेश करना ऋण उधार लेना सभी प्रकार के आधारों का जुगाड़ मौसम का ध्यान रखते हुए खाद बीज देने का कौशल्य किया तो उचित समय पर सिंचाई नींद आई दवाई आदि करना और पकने पर कटाई भंडारण या मंडी ले जाना इन सभी के नियोजन की समझदारी पूर्वक रात दिन चिंता करके लगने वाले परियोजना की अकुशल मजदूर से कैसे तुलना की जा सकती है जो व्यक्ति घड़ी देखकर 9:00 बजे आता है 5:00 बजे काम बंद कर देता है जिसकी कोई जिम्मेदारी नहीं होती है और कोई निपूतना की जरूरत नहीं होती है इतना ही नहीं किसान हो या हानि या लाभ होगा यह भी नहीं कहा जा सकता वह रोजगार सृजन करने का कार्य भी बखूबी करता है इसलिए किसान को उद्यमी मैनेजर और एक कुशल कारीगर ही माना जाएगा ज्यादा अनुसार उसके परिवार की की मजदूरी का निर्धारण किया जावे और फिर न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण किया जावे अन्यथा उसके साथ छलावा ही होता रहेगा भारतीय किसान संघ वर्ष 1980 से लाभकारी मूल्य की बात करते आया है उसके लिए सूत्र भी तैयार करके फसलों के लागत मूल्य निकाले हैं कृषि मूल्य आयोग 1/ 3 किसान प्रतिनिधि को यहां भी मांग बार-बार की है इन सभी विभिन्न मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा गया।
*ज्ञापन सोपते समय मुख्य रूप से* भारतीय किसान संघ तहसील अध्यक्ष कृष्णराव नावंगे, तहसील मंत्री प्रकाश घाणेकर, उपाध्यक्ष घनश्याम सराटकर, दिलीप महाले, नागोराव कोसे, भानु सोनारे, श्रीराम बारस्कर, हरी बारस्कर, टुकड़ू बारस्कर, जगदीश मायवाड़, राजू मायवाड़ सहित किसान बंधु उपस्थित थे।