जबलपुर जिला ब्यूरो चीफ राजकुमार यादव के साथ संवाददाता जयराज चौधरी की रिपोर्ट
जबलपुर : सर्व सुविधा युक्त शासकीय स्कूलों में नि:शुल्क व्यवस्था है तो निजी स्कूलों में एडमिशन क्यों हमारे संवाददाता द्वारा प्राप्त जानकारी पर मध्यप्रदेश जागरूक अधिकारी कर्मचारी संयुक्त समन्वय समिति के जिला अध्यक्ष रॉबर्ट मार्टिन ने बताया कि आरटीई के तहत गरीबी रेखा से नीचे के बच्चों को निजी स्कूलों में 25% एडमिशन देना निजी स्कूलों को लाभ पहुंचाने की मंशा शासन की साफ नजर आ रही है। एक तरफ शासकीय शालाओं में दर्ज संख्या बढ़ाने पर जोर दिया जाता है वहीं जिन क्षेत्रों में शासकीय शालाए है उसी क्षेत्र के निजी स्कूलों में आरटीई के तहत 25% एडमिशन करने के शासनादेश हैं जिसकी पूरी फीस शासन द्वारा दी जाती है इसका फायदा निजी स्कूलों के द्वारा उठाया जा रहा है। वहीं मुफ्त में एडमिशन मिलने की वजह से लोग अपने बच्चों को निजी स्कूलों में एडमिशन दिला रहे हैं जिससे शासकीय शालाओं की दर संख्या एवं नए एडमिशन पर बुरा असर पड़ा है । वहीं निजी स्कूलों की बल्ले-बल्ले हो रही है क्योंकि एक बच्चे के एडमिशन में 4000 से ₹4500 मिलते हैं । संघ ने आगे बताया कि जहां एक तरफ शासन शासकीय स्कूलों का स्तर सुधारने की बात करता है वहीं दूसरी तरफ निजी स्कूलों को लाभ पहुंचाने का कार्य कर रहा है आरटीई के तहत जो बच्चों का एडमिशन निजी स्कूलों में होता है उनके जांच पड़ताल हेतु शिक्षकों को नोडल बनाया जाता है शिझको के साथ विडंबना यह है कि जिस क्षेत्र के स्कूलों में वे पदस्थ हैं उसी क्षेत्र के निजी स्कूलों में उन्हें नोडल अधिकारी बनाया जाता है और वे अपने स्कूलों के कार्य के साथ ही निजी स्कूलों में जाकर निरीक्षण कार्य करते हैं जिससे बहुत सी त्रुटियां भी पाई जाती हैं आखिर में निजी स्कूलों को ही लाभ पहुंचता है। संघ ने बताया कि आरटीई के तहत निजी स्कूलों में निशुल्क एडमिशन होने से क्षेत्र के साथ की स्कूलों के दाखिले पर बुरा असर पड़ता है फल स्वरुप शासकीय शाला में दर्द संख्या कम होती जा रही है जिस वजह से शिक्षक अतिशेष हो सकते हैं बाद में शासन की पॉलिसी के तहत इन्हीं शिक्षकों को अतिशेष के नाम पर स्थानांतरित किया जाएगा जिस वजह से वसूली का अच्छा खासा खेल खेला जाएगा यही कारण है कि शिक्षकों में रोष बना हुआ है। कि आखिर शासन निजी स्कूलों को पैसे देकर बच्चों को अध्ययन करा रही है वही पैसे यदि शासकीय स्कूलों के सुधार हेतु सभी संसाधन मुहैया कराए जाएं तो शासकीय स्कूलों को भी निजी स्कूलों के बराबर खड़ा किया जा सकता है। संघ के जिलाध्यक्ष रॉबर्ट मार्टिन, मीनू कांत शर्मा, जियाउरहीम, स्टेनली नॉरबट, दिनेश गौड़, शहीर मुमताज, अब्दुल सत्तार ,राकेश श्रीवास, सुनील स्टीफन, धनराज पिल्ले, विनोद सिंह, एनोस विक्टर, विनय राम जे, अजय मिश्रा, गुडविन चालस, रऊफ खान, राजकुमार यादव, रामकुमार कतिया, शरीफ अंसारी, गिरीश कात मिश्रा, कुलदीप आदि ने मुख्यमंत्री महोदय से मांग की है की आरटीई के तहत निजी स्कूलों में एडमिशन को बंद कर शासकीय स्कूलों में एडमिशन हेतु जोर दिया जाए।